मौसम ने की ये कैसी करामत आज फिर।
रिमझिम बरस रही वही बरसात आज फिर।।
तुम साथ हो तो भीगने का और है मज़ा।
जागे हैं मेरे दिल में ये जज्बात आज फिर।
'राजीव पराशर'
प्रिय पाठकों, कविता संसार जल्द ही एक नए और अधिक वस्तृत रूप में आपके सामने आयेगा |
मौसम ने की ये कैसी करामत आज फिर।
रिमझिम बरस रही वही बरसात आज फिर।।
तुम साथ हो तो भीगने का और है मज़ा।
जागे हैं मेरे दिल में ये जज्बात आज फिर।
'राजीव पराशर'
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