है ये दिल सहमा हुआ ,
आँख में है आसू !
दुःख है सिने में
मेरी खुसी ने दम तोड़ दिया
दिल मेरा तडपता है ,
खून के आंसू रोता है और पूछता है ,
क्यूँ खुशी तुमने मेरा दमन क्यूँ छोड़ दिया
तुमने क्यूँ मुझसे मुह मोड़ ली
क्या मै इतना बुरा था !
ये क्या ,
फिजा भी है बदल गयी
कुछ देर पहले तो बादल था घना छाया
आसमान भी था रो रहा |
मौसम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया ,
ओ तो था मेरे दुःख में सामिल
उसने भी मेरा साथ छोड़ दिया !
चाँद लिया है फिजा को आगोश में
चांदनी है बिखर रही ;
देख रहा हूँ ,
तारे भी है टिमटिमा रहे
मेरी नजर खोजती है खुशी को ,
उस फिजा में
न जाने कंहा वो खो गयी है !
वो कौन है
मेरी नजर जा टिकी है एक छाया पर ,
जो धुंध सी है दिख रही !
ये क्या ,
वो छाया है मेरी तरफ बढ़ रही ,
मै ठिठका हूँ ,
ये तो कोई परी है स्वर्ग लोक की,
नही नही ये तो मेरी खुशी है !
सहसा सन्नाटा छ गया ,
जाने शोर कंहा खो गया !
चांदनी है अपने शबाब पर ,
ओठ उसके हैं हिल रहे कुछ बयाँ करने की चाहत में ,
आंसू मेरे फुट पड़े देख उसके निगांहो में ,
वो कुछ न बोल सकी ,ओठो पर उसके खामोसी छा गयी |
उसके हतेली पर थे मेरे आंसू के बूंदे ,
ये क्या मेरी खुशी लौट चली ,
मै कुछ ना बोल सका ,
न जाने क्यूँ मै बैठा रहा मूक सा ..........
कुछ पल में फिर से वो छाया बन गयी ,
चांदनी के आगोश में ओ फिर से खो गयी ...
By :- Subodh kumar sharma
आँख में है आसू !
दुःख है सिने में
मेरी खुसी ने दम तोड़ दिया
दिल मेरा तडपता है ,
खून के आंसू रोता है और पूछता है ,
क्यूँ खुशी तुमने मेरा दमन क्यूँ छोड़ दिया
तुमने क्यूँ मुझसे मुह मोड़ ली
क्या मै इतना बुरा था !
ये क्या ,
फिजा भी है बदल गयी
कुछ देर पहले तो बादल था घना छाया
आसमान भी था रो रहा |
मौसम ने भी मेरा साथ छोड़ दिया ,
ओ तो था मेरे दुःख में सामिल
उसने भी मेरा साथ छोड़ दिया !
चाँद लिया है फिजा को आगोश में
चांदनी है बिखर रही ;
देख रहा हूँ ,
तारे भी है टिमटिमा रहे
मेरी नजर खोजती है खुशी को ,
उस फिजा में
न जाने कंहा वो खो गयी है !
वो कौन है
मेरी नजर जा टिकी है एक छाया पर ,
जो धुंध सी है दिख रही !
ये क्या ,
वो छाया है मेरी तरफ बढ़ रही ,
मै ठिठका हूँ ,
ये तो कोई परी है स्वर्ग लोक की,
नही नही ये तो मेरी खुशी है !
सहसा सन्नाटा छ गया ,
जाने शोर कंहा खो गया !
चांदनी है अपने शबाब पर ,
ओठ उसके हैं हिल रहे कुछ बयाँ करने की चाहत में ,
आंसू मेरे फुट पड़े देख उसके निगांहो में ,
वो कुछ न बोल सकी ,ओठो पर उसके खामोसी छा गयी |
उसके हतेली पर थे मेरे आंसू के बूंदे ,
ये क्या मेरी खुशी लौट चली ,
मै कुछ ना बोल सका ,
न जाने क्यूँ मै बैठा रहा मूक सा ..........
कुछ पल में फिर से वो छाया बन गयी ,
चांदनी के आगोश में ओ फिर से खो गयी ...
By :- Subodh kumar sharma