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कविता संसार --- हिन्दी - उर्दू कविताओं का एक छोटा सा संग्रह।

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Tuesday, March 27, 2012

मुक्तक-१


मेरा मन तू बने, तेरा मन मैं बनूँ।
ऐसे पूजू तुझे ख़ुद नमन मैं बनूँ॥
एक ही प्रार्थना है प्रभु से मेरी।
हर जनम में तेरी ही दुल्हन मैं बनूँ॥

Tuesday, March 20, 2012

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Sunday, March 18, 2012

होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो…



गीता का ज्ञान सुने ना सुनें, इस धरती का यशगान सुनें,
हम सबद-कीर्तन सुन ना सकें भारत मां का जयगान सुनें,
परवरदिगार, मैं तेरे द्वार
पर ले पुकार ये आया हूं,
चाहे अज़ान ना सुनें कान,
पर जय-जय हिन्दुस्तान सुनें…
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो…
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो… होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो…

More from Kumar Vishwas.....18 mar 2012

Maa,Behan,Beti ya Mehboob ke saaye se juda,
Ek lamha na ho,Ummeed karta rehta hun,
Ek aurat hai meri ruh me sadiyon se dafan,
Har sada jis ki , mai bas "Geet" karta rehta hun.. 



*****


तुम्हें जीने में आसानी बहुत है ,
तुम्हारे ख़ून में पानी बहुत है .
इरादा कर लिया गर ख़ुदकुशी का, 
तो खुद की आखँ का पानी बहुत है.... 



****


अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा,
उसको छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा, 
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा भी नहीं,
मैं गिरा तो मसअला बनकर खड़ा हो जाऊँगा, 
मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र,
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा ...... 

मैं तुम्हारे लिए, जिंदगी भर दहा.....

मैं तुम्हारे लिए, जिंदगी भर दहा,तुम भी मेरे लिए रात भर तो जलो !
मैं तुम्हारे लिए, उम्र भर तक चला,तुम भी मेरे लिए सात पग तो चलो..! 
दीपकों की तरह रोज़ जब मैं जला,तब तुम्हारे भवन में दिवाली हुई,
जगमगाता,तुम्हारे लिए रथ बना,किन्तु मेरी हर एक रात काली हुई..! 
मैंने तुमको नयन-नीर सागर दिया,तुम भी मेरे लिए अँजुरी भर तो दो !
मैं तुम्हारे लिए, जिंदगी भर दहा,तुम भी मेरे लिए रात भर तो जलो..!
जब भी मौसम ने बाँटी बहारें,तुम्हें,फूल सौंपे,मुझे शूल-शँकित किया
प्रीत की रीत की,लांछना जब बँटी,तुम अलग हो गये,मैं ही पंकित किया, 
मैंने हर गीत गया,तुम्हारे लिए,तुम भी मेरे लिए.क्षीण-सा स्वर तो दो !
मैं तुम्हारे लिए, जिंदगी भर दहा,तुम भी मेरे लिए रात भर तो जलो..! 
कोई अल्हड़ हवा जब चली झूमती,मन को ऐसा लगा ज्यों तुम्हीं से मिला ,
जब भी तुम मिल गये,राह में मोड़ पर,मुझको मालूम हुआ ज़िन्दगी से मिला,
साथ आना न आना,ये तुम सोचना,किन्तु मेरे लिए वायदा कर तो दो !
मैं तुम्हारे लिए, जिंदगी भर दहा,तुम भी मेरे लिए रात भर तो जलो..! 

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