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कविता संसार --- हिन्दी - उर्दू कविताओं का एक छोटा सा संग्रह।

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Monday, February 25, 2013

पहला - पहला प्यार

मेरे जीवन का होगा
सबसे सुन्दर उपहार सखी,
जिस दिन मुझे मिलेगा मेरा,
पहला - पहला प्यार सखी।

पुष्प प्रेम में मन्त्र मुग्ध,
बगिया में जैसे भ्रमर होगा।
कभी तो कोई मिलेगा जो,
मेरे मन का राज कुँवर होगा।।
मुझे भी कोई पहनाएगा, फूलों वाला हार सखी।
जिस दिन मुझे मिलेगा मेरा,पहला - पहला प्यार सखी।।

यमुना तट पर फिर से कान्हा,
बंसी मधुर बजाएगा।
राधा नाचेगी मधुबन में ,
बृज गीत प्रेम के गाएगा।।
मन की वीणा का झनक उठेगा, एक - एक फिर तार सखी।
जिस दिन मुझे मिलेगा मेरा,पहला - पहला प्यार सखी।।

नयन से नयन मिलेंगे जब,
प्रियतम से मधुर मिलन होगा।
बह निकलेगी प्रेम की धारा ,
प्रीती का आलिंगन होगा।।
येही स्वपन देखा करती हूँ, रातों में हर बार सखी
जिस दिन मुझे मिलेगा मेरा,पहला - पहला प्यार सखी।।

मुझे तुमसे मोहब्बत है।

तुम्हारे बिन नहीं रहना मुझे तुमसे मोहब्बत है।
है तुमसे बस यही कहना मुझे तुमसे मोहब्बत है।।
 
ज़बां तो कह नहीं सकती तुमहे एहसास तो होगा।
मेरी आँखों में पढ़ लेना मुझे तुमसे मोहब्बत है।।

तुम्हारे नाम कर दी है ये पूरी जिंदगी अपनी।
भले ही दुःख पड़े सहना मुझे तुमसे मोहब्बत है।

हमें एहसास है तुमको भी हमसे प्यार है लेकिन।
कभी मेरे सामने कहना मुझे तुमसे मोहब्बत है।।


Saturday, February 23, 2013

चलो अब देख लेते हैं मनाता कोन है किसको

तुम्हे जो बेसबब मुझसे, खफ़ा होने की आदत है।
ये आगाज़-ए -जुदाई है, या अंदाज़-ए -मोहब्बत है।1।

वफ़ा के रंग में देखो, जफा अच्छी नहीं होती।
किसी से दोस्ती में इतनी अना अच्छी नहीं होती।2।

चलो अब मान भी जाओ, बहुत अब हो चुकी रंजिश।
किसी दिन और कर लेना, ये अपनी पूरी तुम ख्वाहिश।3।

फ़क़त कहने की बातें हैं, निभाता कोन है इसको।
चलो अब देख लेते हैं मनाता
कोन है किसको ।4।

Thursday, February 21, 2013

नयन तुम्हारी राह तक रहे, मन भी बहुत अकेला है

नयन तुम्हारी राह तक रहे, मन भी बहुत अकेला है ,
क्या बतलाएं विरह तुम्हारा क्याकर हमने झेला  है ।
कैसे अपने आप को पूरा, बिन तेरे कर पाऊंगा ,
एक दिन वो भी आएगा मैं याद तुम्हे भी आऊँगा ।

जिन राहों से डाल हाथ में हाथ साथ हम गुजरे थे ,
भावनाओं के जिस सागर में, संग डूबे संग उबरे थे।
प्रेम समर्पण की वो राहें , बिन तेरे वीरान दिख रही,
रुतबे - झूठी शान के आगे , भावनाएं बेमोल बिक रही।

दिल
का फिर भी ये दावा मैं, बस तुमको ही चाहूँगा । एक दिन वो भी........

चखा है अमृत अधरों ने, पर बाकी प्यास तुम्हारी है,
मन के एक खाली कोने को, अब भी आस तुम्हारी है।
देकर प्यार प्यार के बदले, होठों का भी तर्पण कर दो,
दिल के अधियारे कोने में अपनी प्रीत का दीपक धर दो।

रुकी लेखनी फिर से लिखेगी, मैं भी फिर गा पाउँगा। एक दिन वो भी........

Wednesday, February 20, 2013

हम कलम करते नहीं है शीश वैरी का

हम कलम करते नहीं है शीश वैरी का ,
पर सरहदों के
पार एक शैतान रहता है !
ललकार पर भी वार हम करते नहीं क्यूँ ,
फ़ौज के सर पर हमारा मान रहता है !
तहजीब की लम्बी सियासत कायरों से क्यूँ ,
बुजदिलों को जीतना आसान रहता है !
धरती हमारी मखमली चादर किनारी स्वर्ण की ,
राज्य इसके मोतियों के बेलबूटे है !
क्षीर की नदियाँ जलाशय हेम कुंडो से ,
दम लगाकर हलधरों ने धान कूटे है !
द्वेष की
ज्वाला जलाती आप ही घर को ,
दुश्मनों के शर्तिया ही भाग फूटे है !

DINESH KUMAR NATANI

Friday, February 15, 2013

Death Annivrsry Of Mirza Ghalib...15 February 1869

Hue Muddat Ke 'Ghalib' Marr Gaya Par Yaad Aata Hai.
Woh Har Ik Baat Pe Kehna Ke Yu'n Hota To Kya Hota..


Ye Na Thi Hamari Qismat Ke Wisal-e-Yaar Hota

Agar Aur Jiite Rahte Yahi Intzaar Hota..

ये दिल की बातें हैं ....


निगाहों में भटकती हैं ,जुबां पर अटकती हैं
तुम इनसे कुछ न कहना
क्योंकि ये कभी हंसती हैं तो कभी सिसकती हैं
ये दिल की बातें हैं ....

सूनी स्याह रातों में, हरजाई सूरज की इतराती बेवफाई में
थाम कर हाथ तुम्हारा
राह जिंदगी की कोई नई दिखाती हैं
ये दिल की बातें हैं .....

युगों तक आँखें बंद कर
सोये होने का भरम देती हैं?!!!!
हर मेले तीज त्यौहार में
गीत संगीत और ताल में
भर विरह वेदना
अनदेखे -अनजाने मितवा को पुकार उठती हैं
मेले को स्तब्ध कर ,जीवन का कोई नया राग देती हैं
ये दिल की बातें हैं ....

जेठ की भरी दुपहरी में ,अकेले में वीराने में
देख फटी छाती धरती की
पीड़ा पे मरहम लगाती हैं
चिलचिलाती धूप में सौंधी मिटटी की खुशबू जगाती हैं
ये दिल की बातें हैं ....

अंशु परिहार

Kavya kosh is now Kavita Sansar

http://merikuchmanpasandkavitayein.blogspot.in is now http://www.kavitasansar.com/



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