बचपन का ज़माना होता था
खुशियों का खज़ाना होता था
चाहत चाँद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था
रोने की वजह न होती थी
हसने का बहाना होता था
खबर न थी कुछ सुबहो की
न शामों का ठिकाना होता था
माटी के घर बनाते थे
और उन को गिरना होता था
ग़म की जुबान न होती थी
न ज़ख्मों का पयमाना होता था
बारिश में काग़ज़ की कश्ती
हर मौसम सुहाना होता था
वो खेल वो साथी होते थे
“हर रिश्ता निभाना होता था …!!”- Dr. Raj Kamal
खुशियों का खज़ाना होता था
चाहत चाँद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था
रोने की वजह न होती थी
हसने का बहाना होता था
खबर न थी कुछ सुबहो की
न शामों का ठिकाना होता था
माटी के घर बनाते थे
और उन को गिरना होता था
ग़म की जुबान न होती थी
न ज़ख्मों का पयमाना होता था
बारिश में काग़ज़ की कश्ती
हर मौसम सुहाना होता था
वो खेल वो साथी होते थे
“हर रिश्ता निभाना होता था …!!”- Dr. Raj Kamal