मुझे मेरी मुहब्बत का, सिला मेरे सनम दे दो ।
मैं आदी हूं अश्कों का, मुझे सारे गम दे दो ।।
मैं तेरे वास्ते सारे, सितारे तोड़ लांउगा ।
जो तुम मुझको खुशी का एक, छोटा सा इलम दे दो ।।
मैं आशिक हूं मैं इंसानों से, थोड़ा सा जुदा सा हूं ।
संभल जाउंगा मैं दिलबर जो, थोड़ा अपनापन दे दो ।।
बहुत रिसते हैं ये जख्मे, जिगर जो तुमने दे डाले ।
इन्ही के वास्ते अब तो, मुहब्बत का मरहम दे दो ।।
मुहब्बत का हर एक आंसू,जाया हो नही सकता ।
किताबे इश्क लिखने को, हमें अश्क ए पुरनम दे दो ।।
तेरी चाहत में ये 'दिल ' दुनिया भूल बैठा है ।
तुम्हारा हो चुका हूं मैं , मुझे अब अश्क ए नम दे दो ।।
---------एच के शर्मा 'दिल'
मैं आदी हूं अश्कों का, मुझे सारे गम दे दो ।।
मैं तेरे वास्ते सारे, सितारे तोड़ लांउगा ।
जो तुम मुझको खुशी का एक, छोटा सा इलम दे दो ।।
मैं आशिक हूं मैं इंसानों से, थोड़ा सा जुदा सा हूं ।
संभल जाउंगा मैं दिलबर जो, थोड़ा अपनापन दे दो ।।
बहुत रिसते हैं ये जख्मे, जिगर जो तुमने दे डाले ।
इन्ही के वास्ते अब तो, मुहब्बत का मरहम दे दो ।।
मुहब्बत का हर एक आंसू,जाया हो नही सकता ।
किताबे इश्क लिखने को, हमें अश्क ए पुरनम दे दो ।।
तेरी चाहत में ये 'दिल ' दुनिया भूल बैठा है ।
तुम्हारा हो चुका हूं मैं , मुझे अब अश्क ए नम दे दो ।।
---------एच के शर्मा 'दिल'
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