BHARAT RAAG
हर पल के गुंजन की स्वर-लय-ताल तुम्ही थे,
इतना अधिक मौन धारे हो डर लगता है .....
तुम कि विजय के एक मात्र पर्याय-पुरुष थे ,
आज स्वयं से ही हारे हो डर लगता है .....
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