बेटी बन धरती पर आती,
बाबुल की बगिया महकाती।
बाबुल की बगिया महकाती।
बनकर बहन जो प्यार उड़ेले,
भाई के संग कूदे खेले।
भाई के संग कूदे खेले।
पत्नी बन डोली में आती,
पति की अर्धांगिनी कहलाती।
पति की अर्धांगिनी कहलाती।
माँ बनकर फिर गौरव पाए,
नव जीवन दुनिया में लाए।
नव जीवन दुनिया में लाए।
बहू भाभी चाची और मामी,
फिर बनती सास और दादी-नानी।
फिर बनती सास और दादी-नानी।
कितने ही रिश्तों में बंधकर,
प्यार लुटाती है जीवन भर।
प्यार लुटाती है जीवन भर।
शत-शत नमन आज है उसको,
नारी जग में कहते जिसको।
नारी जग में कहते जिसको।
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