इस कदर ना किसी को सताया करो।
वक्त पर तो कभी काम आया करो।।
बड़े मशरूफ़ हो हमने माना मगर,
कभी तो हम से मिलने आ जाया करो।१।
सामने हो तुम्हारे कोई कश-म्-कश,
हाल-ए-दिल हमको अपना सुनाया करो।२।
रहते हैं तेरे घर से जो कुछ दूर ही,
हाल माँ बाप का पूछ आया करो।३।
पहले झाँको तुम अपने गिरेबान में,
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो।४।
शायरी से ये घर चलने वाला नहीं,
मियाँ "राजीव" कुछ तो कमाया करो।५।
---राजीव पाराशर
वक्त पर तो कभी काम आया करो।।
बड़े मशरूफ़ हो हमने माना मगर,
कभी तो हम से मिलने आ जाया करो।१।
सामने हो तुम्हारे कोई कश-म्-कश,
हाल-ए-दिल हमको अपना सुनाया करो।२।
रहते हैं तेरे घर से जो कुछ दूर ही,
हाल माँ बाप का पूछ आया करो।३।
पहले झाँको तुम अपने गिरेबान में,
उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो।४।
शायरी से ये घर चलने वाला नहीं,
मियाँ "राजीव" कुछ तो कमाया करो।५।
---राजीव पाराशर