करते हैं सबको नमन, और छोटों को प्यार।
बहुत मुबारक आपको, विजयदशमी त्यौहार।
विजयदशमी त्यौहार, चलो इस प्रण को धारें।
मन में जो कैकयी, मंथरा रावण मारें।
कहते हैं "राजीव", कि वो जन कभी न डरते।
लेते स्नेहाशीष, बड़ों को नमन हैं करते।
प्रिय पाठकों, कविता संसार जल्द ही एक नए और अधिक वस्तृत रूप में आपके सामने आयेगा |
0 comments:
Post a Comment