कभी तू भी मुझसे दिल लगा कर तो देख।
कभी मुझको भी अपनी आँखों में बसा कर तो देख।।
चाहा है तुझे इस कदर कि बिछ जाऊँगा,
इक बार मेरे दर-ए-दिल पर आकर तो देख।1।
तुझे शबनम की बूंदों सा समेट लूंगा मैं,
एक बार मेरी बाँहों में समा कर तो देख।2।
बाज़ी इश्क़ की है और तेरे सामने मैं हूँ,
झुकी हुई इन नजरों को उठा कर तो देख।3।
अगर मैं जीत भी जाऊँ तुझे ना हारने दूंगा,
तू दांव अपने दिल का लगा कर तो देख।4।
अगर कुछ कर नहीं पाया तो तेरे साथ रो लूंगा,
तू दर्द अपने दिल का सुनाकर तो देख।5।
-राजीव पाराशर
कभी मुझको भी अपनी आँखों में बसा कर तो देख।।
चाहा है तुझे इस कदर कि बिछ जाऊँगा,
इक बार मेरे दर-ए-दिल पर आकर तो देख।1।
तुझे शबनम की बूंदों सा समेट लूंगा मैं,
एक बार मेरी बाँहों में समा कर तो देख।2।
बाज़ी इश्क़ की है और तेरे सामने मैं हूँ,
झुकी हुई इन नजरों को उठा कर तो देख।3।
अगर मैं जीत भी जाऊँ तुझे ना हारने दूंगा,
तू दांव अपने दिल का लगा कर तो देख।4।
अगर कुछ कर नहीं पाया तो तेरे साथ रो लूंगा,
तू दर्द अपने दिल का सुनाकर तो देख।5।
-राजीव पाराशर
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