आँखों के रास्ते मेरे दिल में समां गया।
न जाने कैसा जादू वो मुझको दिखा गया
आँगन में दिल के वो नई कलियाँ खिला गया।
मौसम जो पहले प्यार का आना था आ गया॥
समझाया दिल को आहटों का डर नही अच्छा।
दिल का धड़कना बात बात पर नही अच्छा॥
यूँ जागना जगाना रात भर नही अच्छा।
कुछ भी समझ ना पाऊ नशा कैसा छा गया।
मौसम जो................................................... ॥
हर दिन है सुहाना सा हर एक रात अलग है।
सावन नया-नया सा है, बरसात अलग है॥
यूँ जिंदगी वही है मगर बात अलग है।
मीठी कसक है जिसकी सितम ऐसा ढा गया॥
मौसम जो................................................... ॥
जब किसी अति-प्रिय के घर आने की सुचना मिलती है, तो प्रेयसी का अपने मन से नियंत्रण खो जाता है। तब कहती हूँ....
अब घर को सजाऊ मैं कभी ख़ुद को सजाऊ।
मैं सब से हर एक बात हर एक राज छुपाऊ॥
सखियों को भी बताऊँ तो मैं कैसे बताऊँ।
दिल को भी कहाँ है ये ख़बर किस पे आ गया॥
मौसम जो................................................... ॥
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