नयन तुम्हारी राह तक रहे, मन भी बहुत अकेला है ,
क्या बतलाएं विरह तुम्हारा क्याकर हमने झेला है ।
कैसे अपने आप को पूरा, बिन तेरे कर पाऊंगा ,
एक दिन वो भी आएगा मैं याद तुम्हे भी आऊँगा ।
जिन राहों से डाल हाथ में हाथ साथ हम गुजरे थे ,
भावनाओं के जिस सागर में, संग डूबे संग उबरे थे।
प्रेम समर्पण की वो राहें , बिन तेरे वीरान दिख रही,
रुतबे - झूठी शान के आगे , भावनाएं बेमोल बिक रही।
दिल का फिर भी ये दावा मैं, बस तुमको ही चाहूँगा । एक दिन वो भी........
चखा है अमृत अधरों ने, पर बाकी प्यास तुम्हारी है,
मन के एक खाली कोने को, अब भी आस तुम्हारी है।
देकर प्यार प्यार के बदले, होठों का भी तर्पण कर दो,
दिल के अधियारे कोने में अपनी प्रीत का दीपक धर दो।
रुकी लेखनी फिर से लिखेगी, मैं भी फिर गा पाउँगा। एक दिन वो भी........
क्या बतलाएं विरह तुम्हारा क्याकर हमने झेला है ।
कैसे अपने आप को पूरा, बिन तेरे कर पाऊंगा ,
एक दिन वो भी आएगा मैं याद तुम्हे भी आऊँगा ।
जिन राहों से डाल हाथ में हाथ साथ हम गुजरे थे ,
भावनाओं के जिस सागर में, संग डूबे संग उबरे थे।
प्रेम समर्पण की वो राहें , बिन तेरे वीरान दिख रही,
रुतबे - झूठी शान के आगे , भावनाएं बेमोल बिक रही।
दिल का फिर भी ये दावा मैं, बस तुमको ही चाहूँगा । एक दिन वो भी........
चखा है अमृत अधरों ने, पर बाकी प्यास तुम्हारी है,
मन के एक खाली कोने को, अब भी आस तुम्हारी है।
देकर प्यार प्यार के बदले, होठों का भी तर्पण कर दो,
दिल के अधियारे कोने में अपनी प्रीत का दीपक धर दो।
रुकी लेखनी फिर से लिखेगी, मैं भी फिर गा पाउँगा। एक दिन वो भी........
0 comments:
Post a Comment