अच्छा तजुर्बा सनम मुझे तुम्हारे प्यार में मिला,
जो मिला जीत में तुम्हे, वही मुझे हार में मिला...
एक तुझसे मिलकर ज़िन्दगी मुकम्मल हो गई,
अब तक इतने लोगो से मैं बेकार में मिला...
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तालिब नहीं तेरे हुस्न-ओ-जमाल का जरा भी,
रूह का रिश्ता है, यकीं आए तो निभा लेना...
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न सही मैं वो सूरज, रौशनी खुशियों की जो तुमपर लुटाऊंगा,
टिमटिमाता दिया ही सही, ग़म के अंधेरो में तो काम आऊंगा...
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