अनाउंसमेंट

कविता संसार --- हिन्दी - उर्दू कविताओं का एक छोटा सा संग्रह।

इस संग्रह को और बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव व टिप्पणीयाँ (comment) अवश्य दें ।
आपसे निवेदन है कि आप भी इस संकलन के परिवर्धन में सहायता करें|

यदि आप किसी रचनाकार/शायर को ढूंढ रहे हैं तो आप रचनाकारों की सूची देखें।

Monday, June 27, 2011

ऊधो, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं।



ऊधो, मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं।
बृंदावन गोकुल तन आवत सघन तृनन की छाहीं॥
प्रात समय माता जसुमति अरु नंद देखि सुख पावत।
माखन रोटी दह्यो सजायौ अति हित साथ खवावत॥
गोपी ग्वाल बाल संग खेलत सब दिन हंसत सिरात।
सूरदास, धनि धनि ब्रजबासी जिनसों हंसत ब्रजनाथ॥

शब्दार्थ :- गोकुल तन = गोकुल की तरफ। तृनन की = वृक्ष-लता आदि की। हित =स्नेह। सिरात = बीतता था।

भावार्थ :- निर्मोही मोहन को अपने ब्रज की सुध आ गई। व्याकुल हो उठे, बाल्यकाल का एक-एक दृष्य आंखों में नाचने लगा। वह प्यारा गोकुल, वह सघन लताओं की शीतल छाया, वह मैया का स्नेह, वह बाबा का प्यार, मीठी-मीठी माखन रोटी और वह सुंदर सुगंधित दही, वह माखन-चोरी और ग्वाल बालों के साथ वह ऊधम मचाना ! कहां गये वे दिन? कहां गई वे घड़ियां ?

0 comments:

Post a Comment

Kavya kosh is now Kavita Sansar

http://merikuchmanpasandkavitayein.blogspot.in is now http://www.kavitasansar.com/



प्रिय मित्रों ये मेरा कुछ जाने - माने कवियों / शायरों की रचनाऔं का संग्रह है । इस संग्रह को और बेहतर बनाने के लिए अपने सुझाव व टिप्पणीयाँ (comment) अवश्य दें । आपसे निवेदन है कि आप भी इस संकलन के परिवर्धन में सहायता करें यदि आप किसी रचनाकार/शायर को ढूंढ रहे हैं तो आप रचनाकारों की सूची देखें। Kumar Vishwas, Mirza Ghalib, Rahat Indori, Harivanshrai Bachchan, Anamika 'Amber' Jain, etc. (key words - kavita, sher, shayari, sher-o-shayari, hindi kavita, urdu shayari, pyaar, ishq, mohobbat shayari.)

Recomended Poetry books

Here you can find some good hindi Poetry books