हजारों हजार कोशिशों के नतीजे कितने खोखले निकले,
जिस्म करीब आ गए, दिलों में मगर वही फासले निकले.....
उसकी फिक्र उसकी याद, में कभी सुकूं देखा करता था,
गौर से देखा तो ये सब, दिल जलाने के मामले निकले...
ये सोचकर दुश्मनों की महफ़िल में हम जा बैठे है विशेष,
दोस्त तो दगा दे गए, शायद ये लोग ही कुछ भले निकले....
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