कोई कब तक महज सोचे कोई कब तक महज गाये
इलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाये
मेरा महताब उसकी राख के आगोश में पिघले
मैं उसकी नींद में जागूं वो मुझमे घुल के खो जाये
***
पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना?
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कोई खामोस है इतना बहाने भूल आया हूँ
किसी की इक तरन्नुम में तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत ताकना कभी ए आसमान वालो
मैं इक चिड़िया की आँखों में उड़ानें भूल आया हूँ
किसी की इक तरन्नुम में तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत ताकना कभी ए आसमान वालो
मैं इक चिड़िया की आँखों में उड़ानें भूल आया हूँ
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